Thursday, August 22, 2013

Pratantra-Madhes-aur-unki-sanskriti-by-Raghunath-Thakur Madheshi


Pratantra-Madhes-aur-unki-sanskriti-by-Raghunath-Thakur Madheshi





 प्रिय दोस्तों,
आज से लगभग ६० बर्ष पहिले से ही मधेसियों के राजनीतिक अधिकार प्राप्ति के लिए "अहिंसात्मक मधेस मुक्ती आन्दोलन" से लेकर क्रमिक रुप में आगे बढ़ते हुए " मधेसजन क्रान्ति दल" तथा "मधेस मुक्ती मोर्चा" के प्रवतर्क एवम नेतृत्व प्रदान करनेवाला महामानव, अमर शहिद "रघुनाथ ठाकुर मधेसी" के पथ पर कार्यरत हो, अपने प्राणों कि आहुति देनेवाले अमर शहिद क्रमश: "शनिचर चौधरी" "सत्यदेव मणि त्रिपाठी" व "रघुनाथ राय" कि पुण्य स्मृति मे अपना विश्लेषण सहित रघुनाथ ठाकुर मधेसी का संक्षिप्त जीवन वृत के साथ उनकी कृतिया ( कुछ ज्यों का त्यों, कुछ आंशिक रुप में) आपकी जानकारी एवम् चिन्तन मनन के लिए प्रस्तुत किया है































































































एक मधेश एक प्रदेश से भी अधिक कारगर है ये नारा,
जिसको सुनते ही बढ़ जाता है नेपलिया लोगों का पारा,
जिसकी प्रत्याभूति से मधेशीयों को समानाधिकार देने के सिवाय बचता नहीं नेपालीयों के पास और कोई चारा,
इसके पश्चात घमण्डी और अत्याचारी नेपालीयों को दिन में दिखाई देगा तारा,
वो नारा जो है सब से प्यारा , वो है -
"मधेशी और नेपाली भाई भाई" या नेपलिया लोगों की भाषा में कहा जाए तो - "मधेशी र नेपाली हुन् भाई, कोही होईन पराई"

हमें मधेशवादी होना बेहद अबश्यक है.

मधेशी युवाओ के दिल में मधेशवाद या फिर मधेशी रास्त्रवाद का भावना जागृत होना अत्यंत आवश्यक है. बिना मधेशवाद के भावना के हम मधेश के लिए कुछ नहीं कर सकते. है तो हम मधेशी और काम करते है नेपाली राष्ट्रवाद के लिए तो फिर मधेश के लिए कुछ कर पाना बहुत मुस्किल है.

मधेशी युवाओ को अगर कुछ चाहिए तो उन्हें अपने अन्दर मधेशवाद का भावना जगाना होगा. हमें सिर्फ मधेश और मधेशी के लिए सोचना होगा. सिर्फ और सिर्फ मधेश के लिए हम सोचेंगे तो ही हम मधेशी होने पर गर्व कर सकते है. आज तक हमें क्यों नहीं अपना संपूर्ण अधिकार मिला इसका एकही जवाब है की आज भी हमारे अन्दर मधेशवाद या फिर मधेशी रस्त्रवाद का भावना उस हद तक उत्पन्न नहीं हो पाया है.

इसी वजह से हम मधेश में अपने हिसाब से कुछ नहीं कर सकते. अखंड मधेश तो हमें चाहिए पर देनेबाला कोई और है. न्याय , समानता , नागरिक अधिकार हमें चाहिए पर देने बाला कोई और है. यानि की हम अपने घर में मधेश में किसी और के सहारे रहते है. ऐ सब इस वजह से है की हमारे अन्दर हमारे दिल में मधेशी रस्त्रवाद का अभाव है.

हमें मधेशवादी होना बेहद अबश्यक है.